मैं बीटल हूँ! मैं कीटल हूँ!!
तुम समझो मेरी महता को.
तुम समझो मेरी महता को.
२. आब थी राखी मरियां की, हमनै लेडी की पदवी पाई थी.
लोगां नै तो न्यूँ सोचा था, यें लेडी के कहने पर आई थी.
बीटल थी हम, बीटल सा, फेर भी लेडी बीटल कुहाई थी.
सां मांसाहारी सौ की सौ, हम तो कीड़े ही खाने आई थी.
३. बहौत घने सै कीट जगत मैं, सबको गिना ना पाऊँगी.
चेपे, चुरड़े, माक्खी, तेले, सबको ही मैं खाऊँगी.
हो मिलीबग या हो माईट, इन्हें मार पलाथी खाऊँगी.
तरुण सुंडी हो या हो अंडें, आसानी से पचाऊँगी.
४. अब एक बात कहनी तुमसे, ये विष व्यापार फैलावो ना.
कीड़ों को काबू करना हो तो, टुच्चे हथियार चलाओ ना.
हथियार चलाना ही है तो, हमें स्प्रे बना कीड़े मारो.
मैं देती हूँ आवाज़ तुम्हें, भय-भ्रम को ललकारो.
गीत सुनने के लिए लिंक :
https://www.youtube.com/watch?v=_vXHC310ZcI&list=UUVN5_bUQbzxuDm2mm6yiiqg&index=46&feature=plpp_video
तुम समझो मेरी महता को.
तुम समझो मेरी महता को.
१. सात समन्दर पार कभी कीड़े फसलों में आए थे.
खेती खत्म होने को थी वे खड़े चौगरदे लखाए थे.
इशु दिखा, मरियां दिखी यूँ फरियाद लगाने को.
तब हम ही आगे आई थी कीड़ो से फसल बचाने को.
लोगां नै तो न्यूँ सोचा था, यें लेडी के कहने पर आई थी.
बीटल थी हम, बीटल सा, फेर भी लेडी बीटल कुहाई थी.
सां मांसाहारी सौ की सौ, हम तो कीड़े ही खाने आई थी.
३. बहौत घने सै कीट जगत मैं, सबको गिना ना पाऊँगी.
चेपे, चुरड़े, माक्खी, तेले, सबको ही मैं खाऊँगी.
हो मिलीबग या हो माईट, इन्हें मार पलाथी खाऊँगी.
तरुण सुंडी हो या हो अंडें, आसानी से पचाऊँगी.
४. अब एक बात कहनी तुमसे, ये विष व्यापार फैलावो ना.
कीड़ों को काबू करना हो तो, टुच्चे हथियार चलाओ ना.
हथियार चलाना ही है तो, हमें स्प्रे बना कीड़े मारो.
मैं देती हूँ आवाज़ तुम्हें, भय-भ्रम को ललकारो.
गीत सुनने के लिए लिंक :
https://www.youtube.com/watch?v=_vXHC310ZcI&list=UUVN5_bUQbzxuDm2mm6yiiqg&index=46&feature=plpp_video
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