गुरुवार, 29 दिसंबर 2011

कीड़याँ का कटरया चाला हे, मनै तेरी सूं

कीड़याँ का कटरया  चाला हे, मनै तेरी सूं.
देख्या ढंग निराला हे, मनै तेरी सूं.

कीड़याँ म्ह का कीड़ा, वो तो मेरी तरफ लखावै था.
जोड़े हाथ खड़ा बेबे, वो गर्दन पूरी घुमावै था.
आरी बरगी टांगा आला हे, मनै तेरी सूं.

कीड़ों से अपनी भूख मिटाता.
क्यां ऐ का ना परहेज़ पूगाता.
काम करै स्प्रे आला हे, मनै तेरी सूं.

जापे तै पहल्यां जापे की तैयारी.
मिलने तै पाछै खसम की बारी.
देखा ढंग कुढाला हे, मनै तेरी सूं.


ना राम की गाँ ना तो यू राम का घोडा,
मांसाहारी कीट सै, बेबे यू हथजोड़ा,
गादड़ की सुंडी आला हे, मनै तेरी सूं


मैं बीटल हूँ! मैं कीटल हूँ!!

 मैं बीटल हूँ! मैं कीटल हूँ!!
तुम समझो मेरी महता को.
 तुम समझो मेरी महता को.

१. सात समन्दर पार कभी कीड़े फसलों में आए थे.
    खेती खत्म होने को थी वे खड़े चौगरदे लखाए थे.
    इशु दिखा, मरियां दिखी यूँ फरियाद लगाने को.
    तब हम ही आगे आई थी कीड़ो से फसल बचाने को.
२. आब थी राखी मरियां की, हमनै लेडी की पदवी पाई थी.
    लोगां नै तो न्यूँ सोचा था, यें लेडी के कहने पर आई थी.
    बीटल थी हम, बीटल सा, फेर भी लेडी बीटल कुहाई थी.
    सां मांसाहारी सौ की सौ, हम तो कीड़े ही खाने आई थी.
३. बहौत घने सै कीट जगत मैं, सबको गिना ना पाऊँगी.
    चेपे, चुरड़े, माक्खी, तेले, सबको ही मैं खाऊँगी.
    हो मिलीबग या हो माईट, इन्हें मार पलाथी खाऊँगी.
    तरुण सुंडी हो या हो अंडें, आसानी से पचाऊँगी.
४. अब एक बात कहनी तुमसे, ये विष व्यापार फैलावो ना.
    कीड़ों को काबू करना हो तो, टुच्चे हथियार चलाओ ना.
    हथियार चलाना ही है तो, हमें स्प्रे बना कीड़े मारो.
    मैं देती हूँ आवाज़ तुम्हें, भय-भ्रम को ललकारो.
गीत सुनने के लिए लिंक :
 https://www.youtube.com/watch?v=_vXHC310ZcI&list=UUVN5_bUQbzxuDm2mm6yiiqg&index=46&feature=plpp_video